क्या है परिवर्तिनी एकादशी का महत्व? जानें तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त

 हिन्दू पंचांग के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी इस साल 13 सितम्बर 2024 को है, जिसे जलझूलनी एकादशी और वामन एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस एकादशी का नाम परिवर्तिनी इसलिए रखा गया है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु, जो चार महीने के लिए योगनिद्रा में रहते हैं, अपनी करवट बदलते हैं। इसलिए इस एकादशी का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व

परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, और उनके भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना गया है जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त हैं।

भगवान विष्णु की पूजा से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करता है, वह सभी प्रकार के दुखों से मुक्त हो जाता है। इसके अलावा, परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से पितृ दोष और अन्य ग्रह दोष भी शांत होते हैं।

तिथि और शुभ मुहूर्त

परिवर्तिनी एकादशी की तिथि हर वर्ष बदलती रहती है, और इसका निर्धारण पंचांग के अनुसार किया जाता है। इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी का व्रत [वर्ष के अनुसार सही तिथि जोड़ें] को मनाया जाएगा। व्रत रखने के लिए प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।

पूजा के शुभ मुहूर्त:
भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल से आरंभ होकर मध्याह्न तक रहता है। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना और भगवान के समक्ष दीप प्रज्वलित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि आप चाहें तो पूरे दिन उपवास रख सकते हैं, या फलाहार कर सकते हैं।

पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
  3. विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
  4. भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
  5. अगर संभव हो तो पूरे दिन उपवास रखें, अन्यथा फलाहार कर सकते हैं।
  6. दिन भर भगवान का ध्यान करें और रात्रि को जागरण करें।

निष्कर्ष

परिवर्तिनी एकादशी व्रत एक ऐसा दिव्य अवसर है जब भक्त भगवान विष्णु की आराधना कर उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह व्रत न केवल व्यक्ति के पापों का नाश करता है, बल्कि उसे जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति भी कराता है। इस विशेष दिन को श्रद्धा और भक्तिपूर्वक मनाएं और भगवान विष्णु की कृपा से अपने जीवन को सफल बनाएं।

इस प्रकार, परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को सही विधि और नियमों के साथ करने पर व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव होता है।

आइए, इस परिवर्तिनी एकादशी पर हम सब भगवान विष्णु की आराधना कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं।

FAQs on परिवर्तिनी एकादशी: Importance, Date, and Auspicious Timings

Q1: परिवर्तिनी एकादशी क्या है?
A: परिवर्तिनी एकादशी, जिसे जलझूलनी एकादशी और वामन एकादशी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, जो चार महीने के लिए योगनिद्रा में रहते हैं, अपनी करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है।

Q2: परिवर्तिनी एकादशी का महत्व क्या है?
A: परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना गया है जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त हैं और मोक्ष की प्राप्ति चाहते हैं।

Q3: परिवर्तिनी एकादशी 2024 में कब मनाई जाएगी?
A: इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी की तिथि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। सटीक तिथि के लिए स्थानीय पंचांग या कैलेंडर देखें, क्योंकि यह तिथि हर साल बदलती रहती है।

Q4: परिवर्तिनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
A: परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल से मध्याह्न तक रहता है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान के समक्ष दीप प्रज्वलित करना इस समय विशेष फलदायी माना जाता है।

Q5: परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि क्या है?
A:

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
  3. विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
  4. भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें, क्योंकि तुलसी उन्हें अत्यंत प्रिय है।
  5. उपवास रखें या फलाहार करें।
  6. दिनभर भगवान का ध्यान करें और रात्रि को जागरण करें।

Q6: परिवर्तिनी एकादशी के व्रत के लाभ क्या हैं?
A: इस व्रत से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पितृ दोष और अन्य ग्रह दोष भी इस व्रत से शांत होते हैं। भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Q7: क्या परिवर्तिनी एकादशी का व्रत सभी के लिए है?
A: हां, परिवर्तिनी एकादशी का व्रत सभी लोग रख सकते हैं, चाहे वह किसी भी आयु, लिंग, या जाति के हों। यह व्रत भगवान विष्णु के भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना गया है।

Q8: परिवर्तिनी एकादशी पर उपवास के दौरान क्या खा सकते हैं?
A: उपवास के दौरान फलाहार, सूखे मेवे, दूध, और अन्य सात्विक भोजन किया जा सकता है। इस दिन अन्न और तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए।

Q9: परिवर्तिनी एकादशी के दिन कौन-कौन से धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं?
A: इस दिन गंगा स्नान, व्रत, भगवान विष्णु की पूजा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ, दान, और रात्रि जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

Q10: परिवर्तिनी एकादशी का व्रत कैसे समाप्त करें?
A: व्रत को अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण करके समाप्त करना चाहिए। प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर श्रद्धापूर्वक अन्न ग्रहण करें।

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