सितंबर 2024 का दूसरा प्रदोष व्रत: रवि प्रदोष व्रत की तिथि, महत्व और पूजा विधि

प्रदोष व्रत की तिथि:
सितंबर 2024 का दूसरा प्रदोष व्रत 29 सितंबर, रविवार को मनाया जाएगा। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत आता है, और इस बार यह रविवार के दिन पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है।

राहुकाल:
राहुकाल के दौरान शुभ कार्यों से बचना चाहिए। इस दिन राहुकाल शाम 04:40 बजे से शाम 06:09 बजे तक रहेगा।

वार: रविवार
तिथि: द्वादशी
योग: साध्य

प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का प्रमुख व्रत है, जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और जीवन के कष्टों से मुक्ति पाना होता है। रवि प्रदोष व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति की कामना के लिए रखा जाता है।

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के दोष और पाप समाप्त हो जाते हैं। भगवान शिव की पूजा और व्रत के प्रभाव से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। रवि प्रदोष व्रत विशेष रूप से सूर्य देव और शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से लंबी उम्र और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि

  1. स्नान और संकल्प: प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की आराधना का मन में निश्चय करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पूजा स्थल पर स्थापित करें। पूजा स्थल को स्वच्छ कर उसे फूलों और दीपों से सजाएं।
  3. शिवलिंग का अभिषेक: शिवलिंग का दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से अभिषेक करें। इसके बाद गंगा जल से अभिषेक कर शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा, फूल, और फल अर्पित करें।
  4. धूप और दीप अर्पण: भगवान शिव की आराधना में धूप, दीप और नैवेद्य अर्पण करें। साथ ही भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें जैसे – “ॐ नमः शिवाय।”
  5. प्रदोष व्रत कथा का पाठ: प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। कथा सुनने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
  6. आरती: शाम के समय भगवान शिव की आरती करें। प्रदोष व्रत की आरती के दौरान विशेष प्रार्थना करें कि भगवान शिव आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करें और जीवन के समस्त कष्टों का नाश करें।
  7. व्रत पालन: दिनभर निराहार रहकर या फलाहार कर व्रत का पालन करें। रात्रि में शिवजी की उपासना करें और रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व है।
  8. दान और दक्षिणा: व्रत के समापन पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। गरीबों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना भी शुभ माना जाता है।

रवि प्रदोष व्रत के लाभ

  • स्वास्थ्य और दीर्घायु: रवि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सुख-समृद्धि: भगवान शिव की कृपा से व्रती के घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • समस्त दोषों का नाश: प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के दोष और पाप नष्ट हो जाते हैं, जिससे जीवन में आने वाली कठिनाइयों का अंत होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति में सहायक माना जाता है।

निष्कर्ष

रवि प्रदोष व्रत का पालन श्रद्धा और भक्ति से करें। भगवान शिव की आराधना करने से आपके जीवन के सभी संकट दूर होंगे और समस्त प्रकार की समस्याओं का समाधान मिलेगा। इस व्रत को करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में सहायक होती है। अतः इस व्रत का संकल्प दृढ़ता और पूर्ण विश्वास के साथ लें और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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