तारीख: 23 सितंबर 2024 (सोमवार)
संवत्सर: पिंगल संवत्सर, विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 (क्रोधी संवत्सर)
माह: भाद्रपद
तिथि: आश्विन कृष्ण पक्ष की षष्ठी, जो 1:50 PM तक रहेगी, इसके बाद सप्तमी तिथि शुरू होगी।
नक्षत्र: रोहिणी नक्षत्र रात 10:07 PM तक रहेगा, उसके बाद मृगशीर्षा नक्षत्र आरंभ होगा।
योग: सिद्धि योग 3:09 AM तक है, इसके बाद व्यातीपात योग लगेगा।
करण: वणिज करण 1:50 PM तक रहेगा, इसके बाद विष्टि करण रात 1:09 AM तक रहेगा, और इसके बाद बव करण प्रारंभ होगा।
चंद्रमा की स्थिति: चंद्रमा इस दिन वृषभ राशि पर संचार करेगा, जो इस व्रत की विशेषता को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
राहु काल: सुबह 7:49 AM से 9:19 AM तक रहेगा।
रोहिणी व्रत का महत्व
रोहिणी व्रत जैन धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे भक्तगण विशेष श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा अपने परिवार की समृद्धि, सुख-शांति, और संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। रोहिणी व्रत की पूजा विधि, व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें, और शुभ मुहूर्त का पालन करना आवश्यक होता है।
पूजा विधि और व्रत का पालन
- प्रातःकालीन स्नान और संकल्प: रोहिणी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और व्रत की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री तैयार करें।
- पूजा का शुभ मुहूर्त: पूजा का शुभ मुहूर्त नक्षत्र और योग के आधार पर निर्धारित होता है। 23 सितंबर 2024 को रोहिणी नक्षत्र रात 10:07 PM तक रहेगा, जो कि पूजा के लिए अत्यंत शुभ समय माना जाता है।
- सिद्धि योग का लाभ: इस दिन सिद्धि योग 3:09 AM तक रहेगा, जो कि सभी प्रकार के कार्यों में सफलता दिलाने वाला होता है। व्रत का संकल्प और पूजा इस योग के दौरान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- व्रत की विधि: पूजा के दौरान भगवान की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएं, धूप-दीप अर्पित करें और भोग लगाएं। पूजा में अक्षत, फूल, तिलक, और फल का उपयोग करें। रोहिणी व्रत कथा का पाठ करें और भगवान से परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करें।
- राहु काल का समय: इस दिन राहु काल सुबह 7:49 AM से 9:19 AM तक रहेगा। इस समयावधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। पूजा और अन्य महत्वपूर्ण कार्य राहु काल के बाद ही करें।
- चंद्रमा की विशेष स्थिति: चंद्रमा का वृषभ राशि में संचार करना इस व्रत की शक्ति और प्रभाव को बढ़ाता है। यह दिन चंद्रमा की स्थिति के कारण विशेष फलदायी माना जाता है।
रोहिणी व्रत से जुड़ी विशेष मान्यताएं
- धन और समृद्धि: रोहिणी व्रत करने से जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है। यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को आकर्षित करता है।
- संतान की दीर्घायु: विशेष रूप से महिलाएं इस व्रत को अपने बच्चों की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए करती हैं। यह व्रत संतान के जीवन में आने वाले विघ्नों को दूर करता है।
- पारिवारिक शांति: रोहिणी व्रत से पारिवारिक कलह समाप्त होती है और घर में शांति का वातावरण बनता है। भगवान की कृपा से परिवार में आपसी प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
निष्कर्ष
23 सितंबर 2024 का रोहिणी व्रत एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसे विधिपूर्वक मनाने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। यह दिन, शुभ नक्षत्र और योग के मेल के साथ, व्रत और पूजा के लिए अत्यंत लाभकारी है। श्रद्धा और आस्था के साथ रोहिणी व्रत का पालन करें और भगवान से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।