रक्षाबंधन कब है? जानें तिथि, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और इस पर्व को मनाने का कारण।

रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी आयु तथा अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को सुरक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार भी देते हैं। आइए जानते हैं रक्षाबंधन की सही तिथि, मुहूर्त और इसका महत्व…

रक्षाबंधन 2024 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 4 मिनट से शुरू हो रही है और रात 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को ही मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन 2024 राखी बांधने का मुहूर्त:

  • अपराह्न मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 46 मिनट से 4 बजकर 19 मिनट तक
  • अवधि: 2 घंटे 33 मिनट
  • प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 6 बजकर 56 मिनट से रात 9 बजकर 7 मिनट तक
  • अवधि: 2 घंटे 11 मिनट

रक्षाबंधन 2024 भद्रा काल:

  • भद्रा का अंत समय: दोपहर 1 बजकर 30 मिनट
  • भद्रा पूंछ: सुबह 9:51 से सुबह 10:53 तक
  • भद्रा मुख: सुबह 10:53 से दोपहर 12:37 तक

रक्षाबंधन पर बन रहा है शुभ योग:

इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है, जो सुबह 6 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। साथ ही, ग्रहों के राजा सूर्य अपनी स्वराशि सिंह राशि में विराजमान रहेंगे। इसके अलावा, बुध और शुक्र भी इस राशि में होंगे, जिससे बुधादित्य और शुक्रादित्य राजयोग का निर्माण हो रहा है।

क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन 2024?

रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, जब असुरों और देवताओं के बीच युद्ध चल रहा था, तब इंद्रदेव हार गए थे। तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने उनकी सुरक्षा और युद्ध में विजय पाने के लिए इंद्र की कलाई पर एक पवित्र पीला धागा बांधा था, जिससे वे विजयी हुए थे।

एक अन्य कथा के अनुसार, जब राजा बाली ने भगवान विष्णु से वचन लेकर उन्हें अपने साथ पाताललोक में रख लिया था, तब मां लक्ष्मी ने राक्षस राजा बाली की कलाई पर राखी बांधी और उपहार के रूप में भगवान विष्णु की वापसी का अनुरोध किया था।

महाभारत काल में, रानी द्रौपदी ने एक बार कृष्ण की चोट को ठीक करने के लिए उनकी कलाई पर अपनी पोशाक से फाड़ा हुआ पीले कपड़े का एक टुकड़ा बांध दिया था। कृष्ण इस कृत्य से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने घोषणा की कि इससे द्रौपदी ने उन्हें अपना भाई बना लिया है और अब उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उनकी है, जो उन्होंने उनके पांच शक्तिशाली पतियों के बावजूद बार-बार की।

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