नवमी श्राद्ध 2024: मातृ नवमी का महत्व और पूजा विधि

तारीख: 25 सितंबर, 2024
अवसर: नवमी श्राद्ध (मातृ नवमी)
पितृ पक्ष की अवधि: 17 सितंबर 2024 से 2 अक्टूबर 2024

नवमी श्राद्ध, जिसे मातृ नवमी भी कहा जाता है, पितृ पक्ष के दौरान मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन विशेष रूप से उन माताओं की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है जिनका निधन नवमी तिथि को हुआ हो। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और इसका समापन अश्विन अमावस्या को होता है। इस वर्ष, पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर 2024 को हुआ और इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को होगा।

नवमी श्राद्ध का महत्व

मातृ नवमी श्राद्ध मुख्य रूप से उन पूर्वज महिलाओं की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसे विशेष रूप से बेटे द्वारा अपनी मां के लिए किया जाता है, लेकिन परिवार की अन्य महिला सदस्य भी इस श्राद्ध में शामिल हो सकती हैं। इस दिन विधिपूर्वक पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवमी श्राद्ध का महत्व केवल पिंडदान तक सीमित नहीं है; यह दिन पूर्वजों की आत्मा की उन्नति और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है। श्राद्ध कर्म से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, शांति, और समृद्धि बनी रहती है।

पितृ पक्ष के दौरान पितृ दोष निवारण

पितृ पक्ष का समय कुंडली में पितृ दोष दूर करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से नहीं कर पाता। इस दोष के कारण जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक तंगी, और पारिवारिक कलह।

पितृ पक्ष के दौरान विधिपूर्वक पिंडदान, तर्पण, और ब्राह्मण भोज आयोजित करने से पितृ दोष का निवारण होता है। इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

नवमी श्राद्ध की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धि: नवमी श्राद्ध के दिन प्रातः काल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और ताजे फूलों से सजाएं।
  2. पिंडदान और तर्पण: पिंडदान के लिए चावल, जौ, तिल, और काले तिल का उपयोग करें। तर्पण करते समय पूर्वजों के नाम और गोत्र का उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें।
  3. श्राद्ध भोज: ब्राह्मणों को श्राद्ध भोज के लिए आमंत्रित करें। उन्हें सात्विक भोजन कराएं और साथ ही वस्त्र, फल, और दक्षिणा भी अर्पित करें। ब्राह्मण भोज से पूर्वज तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  4. दान-पुण्य: नवमी श्राद्ध के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। दान-पुण्य से श्राद्ध कर्म का फल कई गुना बढ़ जाता है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
  5. मंत्र जाप और प्रार्थना: श्राद्ध के अंत में भगवान विष्णु, पितरों, और कुलदेवता की प्रार्थना करें। भगवान विष्णु का नाम स्मरण करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना श्राद्ध कर्म को पूर्ण बनाता है।

नवमी श्राद्ध से जुड़ी विशेष मान्यताएं

  • पूर्वजों का आशीर्वाद: नवमी श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इससे परिवार में धन-धान्य और सुख-शांति बनी रहती है।
  • पितृ दोष निवारण: पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करना अत्यंत आवश्यक है। इससे जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है।
  • मोक्ष प्राप्ति: नवमी श्राद्ध के माध्यम से मृतकों की आत्मा को मोक्ष प्राप्ति में सहायता मिलती है। यह दिन विशेष रूप से माताओं की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है, जिससे वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों की रक्षा करती हैं।

निष्कर्ष

25 सितंबर 2024 को नवमी श्राद्ध या मातृ नवमी के दिन विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करें और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। इस दिन पिंडदान और तर्पण करना पवित्र और लाभकारी माना जाता है। अपने पितरों की आत्मा को प्रसन्न कर उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि पाएं। पितृ पक्ष का समय पितरों के प्रति आभार व्यक्त करने का उत्तम समय है और इसे पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाना चाहिए।

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