कलावा कोई फैशनेबल धागा नहीं, बांधने और उतारने के नियम जान लें

धार्मिक उत्सवों, विवाह आदि के समय पंडित मांगलिक कार्य आरंभ करने से पहले लाल अथवा लाल-पीले धागे को कलाई पर बांधते हैं। उसे कलावा कहा जाता है।
हिन्दू धर्म में कलावे को ऐसा रक्षा सूत्र माना जाता है जो हर बुरी बला से रक्षा करता है। कलावा सारी नकरात्मक शक्तियों को अपने में समाहित कर इसे धारण करने वाले को खुषहाल रखता है।
सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार जिन राशियों पर शनि की साढे साती का पूर्ण प्रभाव हो, उन्हें भी कलावा नहीं बांधना चाहिए। अगर कलावा पहनना भी पड जाए तो उसे उतारने के बाद शमी के पेड़ की विधिवत पूजा करने के साथ शनिवार या फिर सोमवार के दिन शमी की टहनी पर उस कलावे को बांधना चाहिए। कलावा बांधते समय शनिदेव से सुख-समृद्धि, खुशहाली की कामना करते रहें। ऐसा करने से शनिदेव अति प्रसन्न होते हैं। वहीं, मकर व कुंभ राशि के लोगों को कलावा या तो पहनना नहीं चाहिए। अगर किसी अनुष्ठान में कलावा बांधना जरूरी भी हो तो कुछ समय बाद उसे उतार देना चाहिए।

लाल रंग के कलावे का यह है रहस्य

कलावा का रंग लाल इसलिए होता है क्योंकि लाल रंग को हिन्दू धर्म में शक्ति, उत्साह, सौभाग्य, प्रेम और खुशी का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, लाल धागा विवाह, गृह प्रवेश, विशेष धार्मिक अनुष्ठानों जैसे नवरात्रि, दीपावली, करवा चैथ आदि के अवसर पर प्रयोग किया जाता है। वहीं कई मौके पर लाल के साथ पीला कलावा भी बांधा जाता है क्योंकि पीला रंग प्रकृति, सूर्य, ज्ञान, और सजीवता का प्रतीक माना गया है। व्रत का संकल्प लेने से पहले भी कलावा बांधा जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि ऐसा कलावा जिसका रंग उतर चूका हो या फिर जिस कलावे के धागे निकलने लगे हों, उसे अवश्य उतार दें। कलावे में लगनी वाली गांठ में मन लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती का स्थान माना गया है।

कलावा उतारते वक्त यह बरतें सावधानी

वैसे तो कलावा उतारने के लिए विभिन्न परंपराओं और क्षेत्रों में अलग-अलग रीति-रिवाज का पालन किया जाता है। कलावे को धारण करने से लेकर उसे उतारने तक से जुड़े कई नियम भी शास्त्रों में बताये गए हैं। मगर आमतौर पर जो बात काॅमन है, वह यह कि कलावा का रंग उतरने से पहले उसे उतार देना चाहिए। आप कलावा उतारने के लिए यह कर सकते हैः-
1. कलावा उतारने के बाद उसे एक पेड़ के नीचे बांधने के साथ कुछ पुष्प रखे जाते हैं। कलावा को पेड़ के नीचे बांधने का मकसद परिवार के सदस्यों के लिए शांति तथा समृद्धि की कामना करना होता है।
2. कलावा को इधर-उधर फेंकने की बजाए नदी में प्रवाहित करना सही रहता है। नदी को पवित्र माना जाता है।
3. यदि आसपास नदी नहीं है तो उसे धूप और घी के साथ अग्नि में जला सकते हैं। अग्नि में कलावा जलाने के पीछे मान्यता है कि कलावा उतारने के बाद भी व्यक्ति जो अपने जीवन के कठिनाइयों को पार करने में जिस संबल की आवश्यकता है, वह उसे मिल सके।
4. यदि आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो कलावा उतारने के साथ धान्य, फल, धन, या वस्त्र आदि का दान करें। ऐसा करने से पुण्य फल में वृद्धि होती है।

इन चार राशि वालों को कलावा पहनना शुभ

कलावा धारण करना मेष, वृष, सिंह तथा मकर इन चार राशियों के लोगों के लिए शुभ माना जाता है। मेष राशि के लोगों को कलावा बांधने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जबकि, वृष राशि वाले कलावा बांधे तो उनकी किस्मत जाग जाती है। सिंह राशि के लोगों को कलावा बांधना उनके जीवन में खुशियों की वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है। उपरोक्त के अलावा अन्य राशियों के लिए कलावा बांधने बारे कोई पाबंदी नहीं है।

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