गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का पवित्र दिन है, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को आता है और इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजा, और आरती की जाती है। आज, 28 नवंबर 2024, गुरु प्रदोष व्रत का शुभ अवसर है।
गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि:
- प्रारंभ: 28 नवंबर को सुबह 6:23 बजे
- समाप्त: 29 नवंबर को सुबह 9:43 बजे
इस दिन भगवान शिव की पूजा का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल होता है, जो सूर्यास्त के बाद का समय है।
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
गुरु प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। यह व्रत साधक को पापों से मुक्त करता है, शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्रदान करता है, और शुभ फलों की प्राप्ति कराता है। साथ ही, इस दिन किए गए शुभ कार्य, दान, और पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि
- स्नान और शुद्धिकरण: सूर्योदय से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- व्रत का संकल्प: भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत रखने का संकल्प लें।
- शिवलिंग की पूजा: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और बिल्व पत्र अर्पित करें।
- धूप और दीप प्रज्वलन: भगवान शिव के समक्ष धूप, दीप जलाकर ओम नमः शिवाय का जप करें।
- आरती: पूजा के अंत में महादेव की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
गुरु प्रदोष व्रत की कथा
गुरु प्रदोष व्रत से जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन ही समुद्र मंथन से निकले विष को ग्रहण किया था, जिससे सृष्टि की रक्षा हुई। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
गुरु प्रदोष व्रत का फल
- रोग और संकटों से मुक्ति
- दांपत्य जीवन में शांति और सुख
- आर्थिक समस्याओं का समाधान
- मोक्ष की प्राप्ति
निष्कर्ष
गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अद्भुत अवसर है। इस पवित्र दिन महादेव की पूजा और आरती करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। आप भी आज गुरु प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन कृतार्थ बनाएं।
ओम नमः शिवाय।