अगले वर्ष भी जरूर आना बापा: गणेश विसर्जन कैसे करें? जाने सब विधि (17 सितंबर 2024)

गणेश विसर्जन का महत्व: गणेश चतुर्थी के दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है, भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। यह दिन भक्तों के लिए बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन वे अपने प्रिय बापा से विदाई लेते हैं, और उनसे अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करते हैं। विसर्जन का मतलब है गणपति को जल में प्रवाहित करना, जो इस बात का प्रतीक है कि भगवान गणेश अपने धाम लौट रहे हैं।

अनंत चतुर्दशी 2024 का शुभ मुहूर्त: इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को पड़ रही है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 7 मिनट से 11 बजकर 44 मिनट तक है। इस दिन गणेश पूजा के लिए आपको 5 घंटे 37 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की भी पूजा की जाती है।

गणेश विसर्जन की विधि:

  1. गणपति की आरती: विसर्जन से पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा और आरती करें। उन्हें नारियल, मोदक, फूल, और दूर्वा अर्पित करें। उनके सामने दीपक जलाएं और उनकी आरती गाएं। आरती के बाद गणपति से माफी मांगे कि अगर कोई पूजा में कोई त्रुटि रह गई हो तो उसे क्षमा कर दें।
  2. सजावट और यात्रा: गणेश जी की प्रतिमा को एक सुंदर कपड़े में लपेटें और उन्हें फूलों से सजाएं। प्रतिमा को ले जाते समय गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाएं और उन्हें ढोल, नगाड़े, और भजन की धुनों के साथ विसर्जन स्थल पर ले जाएं। यह यात्रा गणेश जी के प्रति भक्तों की भक्ति और समर्पण को दर्शाती है।
  3. विसर्जन स्थल का चयन: गणेश विसर्जन के लिए एक पवित्र और साफ जलाशय का चयन करें, जैसे कि नदी, तालाब या समुद्र। पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आजकल कई लोग कृत्रिम विसर्जन कुंड या घर पर ही बाल्टी में विसर्जन करते हैं। इससे जल प्रदूषण कम होता है।
  4. विसर्जन की प्रक्रिया: विसर्जन स्थल पर पहुँचने के बाद, गणेश जी की एक बार फिर से आरती करें और उन्हें प्रणाम करें। गणपति को जल में विसर्जित करते समय ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले वर्ष तू जल्दी आ’ का जयकारा लगाएं। प्रतिमा को धीरे-धीरे जल में प्रवाहित करें और उनकी विदाई की रस्म पूरी करें।
  5. पुनः आमंत्रण: विसर्जन के बाद भगवान गणेश से अगले वर्ष पुनः आने का आग्रह करें। उनसे घर, परिवार और समाज के लिए सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें। विसर्जन की इस प्रक्रिया के दौरान ध्यान रखें कि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो।

गणेश विसर्जन के पर्यावरणीय पहलू: आजकल लोग गणेश विसर्जन में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी या प्राकृतिक रंगों से बनी गणेश प्रतिमाओं का उपयोग करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि जल प्रदूषण कम से कम हो। विसर्जन के दौरान पानी में फूल, प्लास्टिक या अन्य अपशिष्ट डालने से बचें और स्वच्छता बनाए रखें।

उपसंहार: गणेश विसर्जन एक धार्मिक और भावनात्मक प्रक्रिया है जो भगवान गणेश के प्रति हमारी भक्ति और समर्पण को दर्शाती है। यह एक विदाई का समय है, लेकिन साथ ही अगले वर्ष के स्वागत की तैयारी का भी समय है। बापा की विदाई के समय मन में यह विश्वास रखें कि वे हमारे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लेकर फिर से लौटेंगे। “गणपति बप्पा मोरया, अगले वर्ष तू जल्दी आ!”

आपका गणेश विसर्जन मंगलमय हो!

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