16 दिसम्बर को है षडशीति धनु संक्रांति, दान का प्रतिफल 86 हजार गुणा मिलेगा, लेकिन एक माह तक शुभ संस्कार रहेंगे वर्जित

आज से मकर संक्रांति तक कोई भी शुभ कार्य न करें वरना देव कृपा से वंचित होंगे

दान करने के लिए बेहद शुभ मानी जाने वाली षडशीति धनु संक्रांति इस बार 16 दिसम्बर को होगी जिसका समय शाम 4ः09 बजे से सूर्यास्त होने तक रहेगा। इसे धनुर्मास या खरमास भी कहा जाता है। पद्मपुराण के अनुसार षडशीति धनु संक्रांति पर दान करने का प्रतिफल अन्य दिनों के मुकाबले 86 हजार गुणा ज्यादा फल देने वाला माना जाता है। सत्कर्म और

इस दिन से उत्तरायण यानि मकर संक्रांति तक धनुर्मास रहेगा। संस्कृत भाषा मंे खर गधे को कहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य अपने वाहन घोड़ों पर दया करके उन्हें कुछ समय विश्राम देते हैं और उन्हें पानी पिलाने के लिए तालाब लेकर जाते हैं। किंतु सूर्य भगवान एक बार थम जाएं तो सृष्टि कैसे चलेगी।

इसलिए वह तालाब किनारे खडे खरों यानि गधों को अपने रथ के आगे लगा दिया। चूंकि घोड़ों के मुकाबले गधों की गति काफी धीमी होती है इसलिए कोई शुभ मकर संक्रांति तक नहीं किए जा सकेंगे। इन शुभ कार्यों में बच्चे का मुंडन और नामकरण, गृह प्रवेश, विवाह समारोह, नए प्रतिष्ठान का उद्घाटन करने आदि की मनाही होती है।

सूर्य उपासना करने के लिए समय अति उत्तम

धनुर्मास तक सूर्यदेव की उपासना करना बहुत ही शुभदायक है। विशेषकर सुबह स्नान करने के उपरांत सूर्यदेव को जल चढाने से आपके पुण्य बल को न केवल बढ़ाएगा बल्कि समाज में यश भी दिलाएगा। धनुर्मास तक पूरी श्रद्धा के साथ लोटे में जल के साथ कुमकुम और लाल पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। ऐसा करने से करियर में उन्नति होगी, बिगड़े काम बनने लग जाएंगे और घर में यदि तनाव आदि का माहौल है तो उससे मुक्ति मिलेगी।

भगवान की आराधना में धनुर्मास का महत्व

धनुर्मास का महीना भगवान की आराधना तथा तीर्थाटन के लिए अति महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में प्राकृतिक दृष्टिकोण से पृथ्वी के अनेक क्षेत्रों में कई जगह हिमपात होने, शीतलहर चलने पर ठंड का बदला हुआ प्रभाव दृष्टिगत होता है। इसलिए साधु-संतों के अलावा गृहस्थ लोगों के लिए भी धनुर्मास धार्मिक क्रियाकलापों की दृष्टिकोण से बेहद शुभदायी और फलदायक होता है।

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