उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में पिछले आठ दिन से सुरंग में फंसे क़रीब 40 मज़दूरों को निकालने की कोशिश में अड़चन सूर्य और शनि ग्रह की स्थिति की वजह से हो रही है। सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन ने बताया कि मशीनरी का स्वामी शनि है जबकि 17 नवम्बर शनिवार से सूर्य ने वृश्चिक राशि में प्रवेश किया है। वृश्चिक राशि का स्वामी सूर्य होता है, जबकि राहत कार्य में लगी मशीनें लोहे से बनी हैं। जिस कारण शनि और सूर्य के एक साथ आने से सुरंग में फंसे 40 लोगों की जिंदगी पर संकट और बढ़ गया है।
एस्टोलॉजर प्रदुमन ने ज्योतिषिय गणना कर दावा किया, अभी भी 4 से पांच दिन बचाव कार्य में लग सकते
बचाव कार्य में इस समय जो भी टेक्निकल कार्य किए जा रहे हैं वह भी दोनों ग्रहों की आपस मंे नहीं बनने हुआ। इसलिए बार-बार रेस्क्यू ऑपरेशन में किसी न किसी वजह से व्यवधान हो रहा है। एस्टोलॉजर प्रदुमन ने बताया कि दोनों ग्रहों की चाल की वजह से अभी और दिक्कतें आएंगीं। स्थानीय प्रशासन जो भी दावा करे मगर वीरवार से पहले सुरंग में फंसे लोगों को निकालना लगभग असंभव होगा।
इसलिए प्रशासन को इस दिशा में सुरंग में फंसे लोगों को ऑक्सीजन और खाने-पीने के सामान पहुंचाने की रणनीति पर काम करना होगा। शनि की दृष्टि से ही मशीनों के लगातार चलने से सुरंग में कम्पन हो रही है।
एस्टोलॉजर प्रदुमन का दावा है कि सुरंग खोदने से पहले ज्योतिषीय गणना की जाती तो सुरंग में कोई अड़चन नहीं आती। लेकिन जिस तरह से मार्च माह के बाद भी अब नवम्बर माह में दोबारा सुरंग बनाने में व्यवधान पडा है तो ऐसा मंगल ग्रह के स्थिति के हिसाब से हुआ हो सकता है। उदाहरण के लिए जब हम धरती पर कोई हवन-यज्ञ करते हैं तो अग्नि के देवता मंगल का आह्वान करते हैं।
मंगल की स्थिति में कभी भी धरती पर गड्ढा नहीं खोदा जाता है। जबकि आकाश के उपर कोई चीज छोडी जाती है जैसे कि सैटेलाइट आदि, तो उस समय बृहस्पति की स्थिति को देखा जाता है। भारत में जब चंद्रयान टू भेजा था तो पिछली बार की असफलता से सबक लेते हुए इसरो ने ज्योतिषिय गणना के अनुरूप सैटेलाइट भेजने के दिन और समय का खास ध्यान रखा था। उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में सुरंग में सबसे पहले मंगल की स्थिति को देखकर ही खुदाई का कार्य आरंभ करना उचित रहता।