इस वर्ष आठ मार्च शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में शिवयोग व सिद्ध योग भी बन रहा है। सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी ने बताया कि महाशिवरात्रि आध्यात्मिक राह पर चलने वाले साधकों के लिए काफी महत्व रखती है। महाशिवरात्रि की रात एनर्जी को लेने के लिए साधकों को जागना चाहिए। संसार और इसमें रहने वाले मानव शिव के बिना अधूरे हैं क्योंकि शिव में इ की मात्रा हटाने पर शव बचता है। महाशिवरात्रि किसी व्यक्ति के लिए आत्मज्ञान अर्जित करने का सर्वोत्तम दिन है। यदि भगवान शिव के स्वरूप का ध्यान करें तो इसके हर प्रतीक का गहरा अर्थ है।
माथे पर चांद : शिव के माथे पर जो चतुर्थी का चांद है, इसका अर्थ होता है मानव अपनी बुद्धि को शांत और शीतल रखें।
सांप : सांप का प्रतीक है, वासना से दूर रहो।कमंडल : कमंडल का अर्थ है अपने सारे राज को छुपाए रखें। स्वयं और परिवार की हर बात को गुप्त रखें।
खड़ाऊ : शिव की हर मुद्रा में खड़ाऊ नजर आते हैं। इसका आषय यह है कि मनुष्य को ठोक-ठोक कर और संभलकर चलना चाहिए।
त्रिशूल : भगवान शिव रज, तम, सत इन तीन गुणों के साथ प्रकट हुए थे, जो त्रिशूल के रूप में भगवान शिव का अंश बने। चूंकि इन तीनों गुण के बिना सृष्टि का संचालन नहीं हो सकता था, इसलिए भगवान शिव ने इन्हें अपने हाथों में धारण किया।
कैलाश पर वास : भोलेनाथ का कैलाश पर वास करने का हर मनुष्य के लिए संदेश यह है कि जिस प्रकार कैलाश पर्वत ऊंचाई पर स्थिति है। उसी प्रकार मनुष्य को भी सदैव शिखर वाली जगह को चुनना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर पूजा का समय
महाशिवरात्रि व्रत पूजा प्रदोष काल में प्रारंभ की जाती है इस विशेष दिन पर शिवयोग बन रहा है जो मध्य रात्रि 12ः05 तक रहेगा और इसके बाद सिद्धयोग शुरू हो जाएगा। जबकि धनिष्ठा नक्षत्र का योग प्रातः 8ः12 से अगले दिन शनिवार को प्रातः 6ः42 बजे तक रहेगा।
महाशिवरात्रि पर मंदिरों में दिनभर जलाभिषेक किया जाता है और चार पहर में शिव की पूजा होती है। जो जोड़े महा शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें सुखी और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
ऐसे करें जलाभिषेक
– मनोकामना की पूर्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में साधारण जल के साथ गंगाजल चढ़ाना चाहिए।
– धन की प्राप्ति के लिए शिवलिंग का शहद से अभिषेक करना चाहिए।
– यदि किसी कारण से संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो जोडे को शिवलिंग पर देसी घी अर्पित करना चाहिए। इससे वंश में वृद्धि होती है।
– यदि कुंडली में ग्रहों का दोष है तो सरसों के तेल का अभिषेक करना चाहिए।
– जलाभिषेक के साथ षिवलिंग पर बेलपत्र चढाने से भाग्य का उदय होता है।
– शमी के पत्ते, बेला के फूल, हरसिंगार के फूल चढ़ाना भी उत्तम माना गया है।