पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो साल में दो बार, श्रावण और पौष महीने में मनाया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ मनाया जाता है और मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व
- संतान सुख: यह व्रत मुख्य रूप से संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु की कृपा: यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- पाप मोचन: यह व्रत पापों का नाश करने और मोक्ष प्राप्त करने का भी एक माध्यम माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी व्रत कैसे करें?
पुत्रदा एकादशी का व्रत दो तरह से रखा जाता है:
- निर्जल व्रत: इस व्रत में पूरे दिन जल का सेवन भी नहीं किया जाता। यह व्रत केवल स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए।
- फलाहारी व्रत: इस व्रत में केवल फल और जल का सेवन किया जाता है। यह व्रत आम लोगों के लिए उपयुक्त होता है।
व्रत के दौरान क्या खाएं:
- फल
- शकरकंद
- कुट्टू के आटे की रोटी
- दूध (सीमित मात्रा में)
- दही (सीमित मात्रा में)
व्रत के दौरान क्या न करें:
- मांसाहार
- मछली
- अंडे
- लहसुन
- प्याज
- अनाज
पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
- फूल, फल और मिठाई चढ़ाएं।
- दीपक जलाएं और धूप बत्ती करें।
- व्रत कथा का पाठ करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें।
पौष पुत्रदा एकादशी 2025
शुभ मुहूर्त:
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 9 जनवरी 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू होगी और 10 जनवरी 2025 को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी।
निष्कर्ष
पुत्रदा एकादशी का व्रत धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत न केवल संतान सुख प्रदान करता है बल्कि भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है। इस व्रत को रखने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।