प्रतिवर्ष सूर्य के मकर राशि पर संक्रमण के समय जो संक्रान्ति मनाई जाती है। उसे मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष मकर संक्रान्ति का पुण्य काल 15 जनवरी को सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इसलिए 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की आराधना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है और इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं। शादी-विवाह जैसे शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार देवताओं का दिन और असुरों की रात्रि का आरम्भ हो जाता है। पुण्य काल में शनि की प्रिय वस्तु काला तिल, उड़द और कम्बल आदि का दान महत्वपूर्ण बताया गया है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी सर्दी में ऊष्मा देने वाले पदार्थ तिल, गुड़ और उड़द आदि का सेवन उत्तम होता है। वर्ष में सूर्य की 12 संक्रांतियां होती हैं इनमें मकर संक्रांति विशेष इसलिए होती है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। मकर राशि के स्वामी शनि होते हैं। मां गंगा इसी दिन अपनी यात्रा पूरी करके समुद्र में मिली थीं। खरमास की समाप्ति हो जाती है और सारे शुभ कार्य आरम्भ हो जाते हैं।
शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा
मकर संक्रांति पुण्यकाल – प्रातः 7 बजकर 15 मिनट से सायं 06ः21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल- प्रातः 07 बजकर 15 मिनट से प्रातः 9 बजकर पांच मिनट तक
मकर संक्रांति पर स्नान और दान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान और दान करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से 10 अश्वमेध यज्ञ और 1000 गाय दान करने के समान पुण्य फल मिलता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान के बाद दान करने से लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। साथ ही पिछले जन्म के बुरे कर्मों से निजात मिलती है और आगामी जीवन सुखमय होता है।
मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान के बाद जूते, अन्न, तिल, गुड़, गरम वस्त्र, कंबल दान करने से शनि और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन सबसे पहले गंगा या फिर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। आप गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही नहाने के पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद दान करें। इससे काल सर्प योग वाले ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।