2024 का आखिरी चंद्र ग्रहण: 18 सितंबर को लूनर सरोस 118 का अंतिम आंशिक चंद्र ग्रहण

साल 2024 का आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगेगा, और यह एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा। इस आंशिक ग्रहण के दौरान, चंद्रमा का केवल एक छोटा हिस्सा ही पृथ्वी की गहरी छाया में प्रवेश करेगा। आइए, इस महत्वपूर्ण खगोलीय घटना से जुड़ी अन्य जानकारियों पर नज़र डालें।

ग्रहण की मुख्य जानकारियां

  1. तारीख और प्रकार: 18 सितंबर 2024 को आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह लूनर सरोस 118 का आखिरी आंशिक चंद्र ग्रहण है, जो इस खगोलीय श्रृंखला का समापन करेगा।
  2. पेरिगी से पहले: यह ग्रहण पेरिगी (चंद्रमा का पृथ्वी के सबसे निकटतम बिंदु) से 9 घंटे पहले घटित होगा। इस समय, चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 357,486 किलोमीटर की दूरी पर होगा।
  3. चंद्रमा का आकार और दूरी: ग्रहण के दौरान चंद्रमा का व्यास लगभग 33.4 आर्कमिनट होगा, जो सामान्य से थोड़ा बड़ा दिखाई देगा, लेकिन यह परिवर्तन नगण्य होगा।
  4. दृश्यता के क्षेत्र: इस आंशिक चंद्र ग्रहण को अमेरिका, अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों, पश्चिमी हिंद महासागर, मध्य पूर्व, अफ़्रीका, यूरोप, अटलांटिक महासागर, और पूर्वी पोलिनेशिया में देखा जा सकेगा।

भारत में ग्रहण क्यों नहीं दिखाई देगा?

भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा क्योंकि ग्रहण के समय चंद्रमा भारतीय उपमहाद्वीप के नीचे होगा। इस वजह से, यह आंशिक चंद्र ग्रहण भारतीय खगोल प्रेमियों के लिए प्रत्यक्ष दृश्यता में नहीं होगा। हालांकि, इसे ऑनलाइन लाइव स्ट्रीम्स के माध्यम से देखा जा सकता है, जो दुनिया भर के विभिन्न स्थानों से इसे प्रसारित करेंगे।

ग्रहण का खगोलीय महत्व

लूनर सरोस 118 श्रृंखला में यह अंतिम आंशिक चंद्र ग्रहण है, जो इसे खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है। हर सरोस श्रृंखला लगभग 18 साल और 11 दिनों के चक्र में होती है, और इस अवधि के बाद ग्रहणों की घटनाएं एक नए चक्र में प्रवेश करती हैं। इस ग्रहण का लूनर सरोस 118 के समापन के रूप में खगोलविदों और ग्रहण प्रेमियों के लिए एक विशेष महत्व है।

ग्रहण से जुड़े वैज्ञानिक पहलू

चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व इस बात में निहित है कि यह पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा की सापेक्ष स्थिति को दर्शाता है। आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान, चंद्रमा का एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में आता है, जिससे हमें ग्रहण दिखाई देता है। इस प्रक्रिया से खगोलशास्त्रियों को पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी, कक्षीय परिवर्तन, और छाया की गणनाओं के अध्ययन में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

हालांकि 2024 का यह आंशिक चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, फिर भी यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है जिसे विभिन्न स्थानों से देखा जा सकेगा। यह ग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि चंद्र ग्रहण के विज्ञान और उसकी प्रक्रियाओं को समझने का एक अच्छा अवसर भी प्रदान करता है। अगर आप ग्रहण प्रेमी हैं, तो इस अद्वितीय घटना को देखने का प्रयास अवश्य करें, चाहे वह लाइव स्ट्रीम के माध्यम से ही क्यों न हो।

Leave a Reply

Connect with Astrologer Parduman on Call or Chat for personalised detailed predictions.

More Posts

Contact Details

Stay Conneted

    Shopping cart

    0
    image/svg+xml

    No products in the cart.

    Continue Shopping