हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर शिवजी की आराधना करते हैं, उनकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है, शास्त्रों में विशेष पुण्यफल देने वाला माना गया है। इस वर्ष भौम प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर 2024 को पड़ रहा है। साथ ही, इस दिन तीन विशेष संयोग भी बन रहे हैं, जिससे इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त, योग और पूजा-विधि के बारे में…
भौम प्रदोष व्रत 2024 की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 16 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत का पालन विशेष रूप से प्रदोष काल में किया जाता है, इसलिए यह व्रत 15 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा।
भौम प्रदोष व्रत 2024 का शुभ पूजा मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा के लिए आपको 2 घंटे 31 मिनट का शुभ समय मिलेगा। भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इन समयावधियों में आप भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
भौम प्रदोष व्रत पर 3 शुभ योग
इस वर्ष भौम प्रदोष व्रत के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं। सुबह से वृद्धि योग की स्थिति रहेगी, जो दोपहर 2 बजकर 13 मिनट तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग का निर्माण होगा। साथ ही, भौम प्रदोष व्रत के दौरान रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेंगे।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
जो लोग भौम प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा, इस दिन पूजा करने से अक्षय पुण्य भी मिलता है। साथ ही, मंगल ग्रह की पूजा करने से भक्तों पर उनकी कृपा भी बरसती है।
भौम प्रदोष व्रत मंत्र
ऊँ नमः शिवाय
ऊँ आशुतोषाय नमः
ऊँ नमो धनदाय स्वाहा
ऊँ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ऊँ
ॐ हौं जूं सः
ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।