इंदिरा एकादशी 2024: व्रत तिथि, महत्व, और व्रत पारण की विधि

इंदिरा एकादशी तिथि: 27 सितंबर 2024, दोपहर 01:20 बजे से 28 सितंबर 2024, दोपहर 02:49 बजे तक
व्रत पारण: 29 सितंबर 2024, शनिवार

इंदिरा एकादशी हिंदू धर्म के 24 एकादशी व्रतों में से एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे पितृ पक्ष के दौरान मनाया जाता है। यह व्रत उन पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए रखा जाता है जो पापों के कारण अपने गति को प्राप्त नहीं कर पाए। इंदिरा एकादशी का व्रत पितृ पक्ष के दौरान आता है और इस व्रत को करने से पूर्वजों के पापों का नाश होता है, जिससे वे स्वर्ग की प्राप्ति करते हैं।

इस वर्ष इंदिरा एकादशी 27 सितंबर 2024 को दोपहर 01:20 बजे से शुरू होकर 28 सितंबर 2024 को दोपहर 02:49 बजे समाप्त होगी। व्रत का पारण 29 सितंबर 2024, शनिवार को किया जाएगा।

इंदिरा एकादशी का महत्व

इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति में सहायता मिलती है। इस व्रत का महत्व पौराणिक कथाओं में भी वर्णित है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से केवल व्रती को ही नहीं, बल्कि उसके पूर्वजों को भी स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

इंदिरा एकादशी का व्रत विष्णु भगवान को समर्पित होता है, और इस दिन व्रती को दिनभर उपवास कर विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती और उसके पूर्वजों को समस्त प्रकार के दुखों से छुटकारा मिलता है।

इंदिरा एकादशी व्रत की पूजा विधि

  1. स्नान और संकल्प: इंदिरा एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की पूजा के लिए संकल्प लें और व्रत का पालन करने का दृढ़ निश्चय करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। स्थान को फूलों और दीपक से सजाएं।
  3. व्रत कथा और मंत्र जाप: इस दिन इंदिरा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें और भगवान विष्णु की आरती उतारें।
  4. भोग अर्पण: भगवान विष्णु को फल, फूल, तिल, पंचामृत, और तुलसी दल अर्पित करें। भगवान को खीर या हलवे का भोग लगाएं।
  5. दिनभर उपवास: इंदिरा एकादशी के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। फलाहार या जल का सेवन कर सकते हैं, लेकिन यह भी केवल तभी जब स्वास्थ्य की स्थिति इसके लिए अनुमति दे।
  6. प्रार्थना और ध्यान: दिनभर भगवान विष्णु की आराधना और भजन करें। शाम के समय दीप जलाकर भगवान की आरती उतारें और विशेष प्रार्थना करें कि आपके द्वारा किया गया व्रत आपके पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए स्वीकार किया जाए।
  7. रात्रि जागरण: संभव हो तो रात्रि जागरण करें और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहें।

इंदिरा एकादशी व्रत पारण

व्रत का पारण 29 सितंबर 2024, शनिवार को किया जाएगा। पारण के लिए सुबह भगवान विष्णु की पूजा करें और भोग अर्पित करें। इसके बाद व्रत का पारण करें। पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना भी शुभ माना जाता है। इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।

इंदिरा एकादशी व्रत के लाभ

  • पूर्वजों की आत्मा की शांति: इंदिरा एकादशी के व्रत से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • पापों का नाश: इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • ईश्वर की कृपा: भगवान विष्णु की कृपा से जीवन की कठिनाइयों का अंत होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • परिवार की समृद्धि: इंदिरा एकादशी का व्रत करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

निष्कर्ष

इंदिरा एकादशी का व्रत पितृ पक्ष के दौरान किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे भगवान विष्णु की पूजा और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए रखा जाता है। इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने से न केवल व्रती बल्कि उसके पूर्वजों को भी अत्यंत लाभ होता है। इसलिए, इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ करें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।

 

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