घर में अपने बुजुर्गों से आपने सुना होगा कि होलियां लगने पर कोई भी मंगल कार्य नहीं करना हैं। दरअसल, ऐसा करने के पीछे ज्योतिष विज्ञान का लॉजिक होता है। माना जाता है कि इन दिनों में सभी ग्रह उग्र अवस्था में होते हैं। बिना विवेक के किया गया कोई भी कार्य सिरे नहीं चढ़ सकता है इसलिए शुभ कार्यों को ऐसे मुहूर्त में करने की मनाही होती है। इन दिनों में वातावरण में इन दिनों में नकरात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है इसलिए शुभ कार्यों पर ब्रेक लग जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अष्टम तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी कि गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं।
कोई भी ग्रह अगर उग्र अवस्था में है तो उस दौरान किया गया मंगल कार्य पर विपरीत असर पड़ना लाजिमी है।
आपको बता दें कि होलाष्टक 17 मार्च से आरंभ हो चुका है इसलिए 24 मार्च तक कोई शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे। होलाष्टक होली से आठ दिन पहले शुरू होते हैं।
ऐसे हुई थी होलाष्टक की शुरुआत
धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती के आग्रह पर कामदेव ने शिवजी की तपस्या भंग करने के जतन किए। तपस्या भंग होने की वजह से शिव बेहद कुपित हुए और क्रोध में आकर उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनके क्रोध की अग्नि से कामदेव भस्म हो गए। माना जाता है कि होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। इसलिए इस काल में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं। ग्रहों की दशा के कारण ही होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं करते हैं।
ऐसे की जाती होलाष्टक की गणना
सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार होलाष्टक का आरंभ फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है और ठीक आठ दिन बाद होली के साथ यानी कि पूर्णिमा को खत्म होता है। पौराणिक और ज्योतिषीय मान्यताओं में इन 8 दिन की अवधि अशुभ मानी जाती है। इसलिए इन दिनों में शादी, विवाह, मुंडन और ग्रह प्रवेश, जमीन-जायदाद और वाहन की खरीद जैसे शुभ कार्य बंद कर दिए जाते हैं।