यहां शिव-पार्वती ने लिए थे सात फेरे! अग्नि आज भी प्रज्वलित! यहां करें विवाह!

सावन माह को देवों के देव महादेव का अति प्रिय माह माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस महीने में सोलह सोमवार का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें समाप्त हो जाती हैं और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है। मान्यता है कि सावन के दौरान भोलेनाथ की विधिवत पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। शिव मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करने से कई गुना अधिक फल मिलते हैं।

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां माना जाता है कि माता पार्वती और भगवान शिव ने भगवान विष्णु, ब्रह्मा और अन्य ऋषि-मुनियों के सामने विवाह किया था। यह मंदिर उत्तराखंड में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और सरस्वती जी की पूजा भी की जाती है। आइए जानते हैं त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में सबकुछ…

त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ था शिव-पार्वती का विवाह

त्रियुगीनारायण मंदिर, जिसे अखंड धूनी और त्रिजुगीनारायण नामों से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है। यहां विष्णु जी की लगभग 2 फुट ऊंची मूर्ति स्थित है। किवदंतियों के अनुसार, कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव मां पार्वती से विवाह करने के लिए सहमत हुए थे। इस स्थान पर मां पार्वती और भगवान शिव ने अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए थे, और यह अग्नि अब भी प्रज्वलित है।

इस विवाह समारोह में मां पार्वती के भाई विष्णु जी ने भाई की भूमिका निभाई, जबकि भगवान ब्रह्मा ने पुजारी का कार्य किया। मंदिर के सामने स्थित ब्रह्म शिला नामक एक पत्थर को इस दिव्य विवाह का सटीक स्थान माना जाता है।

आज भी जल रही अनंत अग्नि

त्रियुगीनारायण मंदिर वह पवित्र स्थान है जहां शिव-पार्वती ने अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लिए थे। यह पवित्र अग्नि आज भी जल रही है और इसे अखंड धूनी के नाम से जाना जाता है।

मंदिर में मौजूद हैं कई पवित्र कुंड

त्रियुगीनारायण मंदिर में कई पवित्र कुंड स्थित हैं, जिनमें प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है। इन कुंडों को ब्रह्मा कुंड, विष्णु कुंड, रुद्र कुंड, और सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता है।

त्रियुगीनारायण मंदिर में आप भी कर सकते हैं विवाह

त्रियुगीनारायण मंदिर में हर साल कई पारंपरिक विवाह संपन्न होते हैं। अगर आप भी इस मंदिर में विवाह करना चाहते हैं, तो आपको पहले बुकिंग करानी होगी। बुकिंग के लिए लड़के और लड़की का आधार कार्ड आवश्यक होता है, और विवाह तभी संभव है जब दोनों पक्षों के माता-पिता सहमत हों। इस मंदिर में विवाह की लागत कम से कम 50 हजार रुपये हो सकती है, हालांकि बुकिंग की लागत नियोजित विवाह के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकती है।

त्रियुगीनारायण मंदिर में विवाह के लिए सबसे अच्छा समय

त्रियुगीनारायण मंदिर में विवाह के लिए आप मुहूर्त के अनुसार कभी भी शादी कर सकते हैं। लेकिन यदि आप इस मंदिर में विवाह की योजना बना रहे हैं, तो अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है।

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