हर वर्ष दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को बचाने की कथा पर आधारित है। इस दिन गोवर्धन पूजा के माध्यम से भगवान कृष्ण और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इसे और भी विशेष बना रहे हैं।
गोवर्धन पूजा की तिथि और शुभ समय
2024 में गोवर्धन पूजा के लिए शुभ समय और मुहूर्त इस प्रकार है:
- आयुष्मान योग: इस साल गोवर्धन पूजा की शुरुआत में आयुष्मान योग प्रातः 11:19 बजे तक रहेगा। आयुष्मान योग को दीर्घायु और शुभता का प्रतीक माना जाता है, जिसमें की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
- सौभाग्य योग: आयुष्मान योग के पश्चात् सौभाग्य योग प्रारंभ होगा। यह योग पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ है और इसमें संपन्न की गई पूजा से सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
- त्रिपुष्कर योग: रात 08:21 बजे से लेकर 3 नवंबर को सुबह 05:58 बजे तक रहेगा। त्रिपुष्कर योग का महत्त्व यह है कि इस योग में किया गया कोई भी शुभ कार्य तीन गुना फलदायी होता है। इसलिए, इस समय में की गई गोवर्धन पूजा अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है, जिसमें भगवान कृष्ण और ग्वालों के साथ-साथ गौ माता का प्रतीकात्मक रूप भी बनाया जाता है। यहां कुछ सरल पूजा विधि दी गई है:
- पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करके चौकी पर गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं और भगवान कृष्ण की प्रतिमा रखें।
- पूजा की शुरुआत: दीप जलाकर पूजा की शुरुआत करें। इसके बाद भगवान कृष्ण को अन्न, मिष्ठान्न और जल अर्पित करें।
- परिक्रमा: भक्तिभाव से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें और पूजा अर्चना करें।
गोवर्धन पूजा की व्रत कथा
गोवर्धन पूजा की कथा के अनुसार, एक बार इंद्रदेव के क्रोध से गोकुलवासियों पर भयंकर वर्षा हुई। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर सभी की रक्षा की और गोकुलवासियों को इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का संदेश दिया। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का यह पर्व मनाया जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण, भक्ति और सादगी का प्रतीक है।
योगों का महत्त्व और शुभता
इस वर्ष के विशेष योग – आयुष्मान, सौभाग्य और त्रिपुष्कर – गोवर्धन पूजा को और भी शुभ बना देते हैं। आयुष्मान योग में की गई पूजा से दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, सौभाग्य योग में पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, और त्रिपुष्कर योग के प्रभाव से किए गए शुभ कार्य का तीन गुना फल प्राप्त होता है।
गोवर्धन पूजा का यह पर्व भगवान कृष्ण के प्रति कृतज्ञता और प्राकृतिक संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इस दिन लोग भगवान को तरह-तरह के अन्न और मिष्ठान्न अर्पित करते हैं, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है। गोवर्धन पूजा में भक्ति और प्रकृति के प्रति आदर का भाव समाहित है, जो इस त्योहार को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।