हर साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी का व्रत मनाया जाता है। साल में कुल 24 एकादशी होती हैं, लेकिन कभी-कभी अधिक मास होने पर यह संख्या 26 तक बढ़ सकती है। कृष्ण और शुक्ल पक्ष की प्रत्येक एकादशी का विशेष महत्व होता है, और श्रावण मास की एकादशी को विशेष मान्यता प्राप्त है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति और दुःखों से छुटकारा मिलता है। इस साल कामिका एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पारण का समय और इसके धार्मिक महत्व को जानें…
कामिका एकादशी 2024 मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 जुलाई को दोपहर 4:44 बजे से
- एकादशी तिथि समाप्ति: 31 जुलाई को शाम 6:07 बजे तक
- पारण का समय: 1 अगस्त को सुबह 5:52 बजे से 8:32 बजे तक
कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
कामिका एकादशी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में कामिका एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करने का महत्व है। यह देवशयनी एकादशी के बाद पहली एकादशी है, जब भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं। सावन मास में पड़ने के कारण इस एकादशी का फल कई गुना बढ़ जाता है। कामिका एकादशी पर पूजा और स्नान-दान करने से हर पाप और परेशानी से मुक्ति मिलती है और अनंत फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रत रखने से नीच योनि में जन्म लेने से बचा जा सकता है।
श्री विष्णु आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे, ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का
स्वामी दुःख बिनसे मन का
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का, ओम जय जगदीश हरे।
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, आश करूँ किसकी, ओम जय जगदीश हरे।
स्वामी तुम अंतर्यामी, परम ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी, ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
दीन दयालु कृपालु, कृपा करो भरता, ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूँ दयामी, तुमको मैं कुमति, ओम जय जगदीश हरे।
दीन बंधु दुःख हरता, तुम रक्षक मेरे
स्वामी तुम रक्षक मेरे
करुणा हस्त बढ़ाओ, शरण पड़ूं मैं तेरे, ओम जय जगदीश हरे।
विषय विकार मिटावो, पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा, ओम जय जगदीश हरे।