भानु सप्तमी 2024 डेट और समय:
भानु सप्तमी हिंदू धर्म में सूर्य देव को समर्पित एक पवित्र दिन है। वर्ष 2024 में यह पर्व पौष माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाएगा।
दृक पंचांग के अनुसार:
- सप्तमी तिथि प्रारंभ: 21 दिसंबर 2024, शनिवार, दोपहर 12:21 बजे।
- सप्तमी तिथि समाप्त: 22 दिसंबर 2024, रविवार, दोपहर 02:31 बजे।
उदयातिथि के आधार पर, भानु सप्तमी 22 दिसंबर 2024, रविवार को मनाई जाएगी।
भानु सप्तमी के दिन शुभ मुहूर्त:
भानु सप्तमी पर पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पूजा-अर्चना के लिए शुभ मानी जाती है। हालांकि, इस दिन का सबसे उत्तम समय सूर्यदेव को अर्घ्य देने का होता है, जो प्रातःकाल होता है।
- सूर्योदय का समय: सुबह 7:15 बजे (स्थान विशेष अनुसार)।
- सूर्य अर्घ्य का मुहूर्त: सुबह 7:15 बजे से 8:15 बजे तक।
- पूजा का मुख्य समय: प्रातःकाल से मध्याह्न तक।
भानु सप्तमी की पूजाविधि:
- प्रातःकाल स्नान और संकल्प:
भानु सप्तमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान करें। इसके बाद सूर्यदेव की उपासना का संकल्प लें। - सूर्यदेव को अर्घ्य दें:
साफ पानी में लाल फूल, अक्षत (चावल), और गुड़ मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। इस दौरान ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें। - सूर्यदेव की पूजा करें:
- सूर्यदेव की प्रतिमा या चित्र के सामने लाल वस्त्र बिछाएं।
- प्रतिमा पर लाल चंदन, फूल, गुड़ और धूप-दीप अर्पित करें।
- सूर्य मंत्रों का पाठ करें, जैसे:
- ॐ घृणि सूर्याय नमः।
- आदित्यहृदय स्तोत्र।
- सात प्रकार के अनाज का दान:
भानु सप्तमी के दिन सात प्रकार के अनाज जैसे गेहूं, चना, मूंग, जौ, चावल, तिल, और मक्का दान करना शुभ माना जाता है। - व्रत और कथा श्रवण:
इस दिन व्रत रखकर भानु सप्तमी की कथा का श्रवण करें। कथा में सूर्यदेव के महत्व, उनकी कृपा से जीवन में आने वाले बदलाव, और स्वास्थ्य लाभ का वर्णन होता है।
भानु सप्तमी का महत्व:
भानु सप्तमी का संबंध सूर्यदेव से है, जो जीवन, ऊर्जा, और स्वास्थ्य के प्रदाता माने जाते हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से:
- रोगों से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
निष्कर्ष:
भानु सप्तमी 2024 सूर्यदेव की उपासना का विशेष दिन है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करें और जीवन में उजाला भरें।