उड़ीसा के पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा देश के साथ-साथ दुनियाभर में प्रसिद्ध है। दुनियाभर के लोग इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए यहां पहुंचते हैं। हर साल आषाढ़ माह में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में भगवान कृष्ण के साथ-साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भी विराजमान किया जाता है। इस साल जगन्नाथ रथयात्रा 7 जुलाई से आरंभ हो रही है, जो 16 जुलाई को समाप्त होगी। इस साल जगन्नाथ यात्रा पर काफी दुर्लभ संयोग सालों बाद बन रहा है। इस बार तिथियों की हेरफेर के कारण लगातार दो दिन रथ यात्रा होगी। इसके बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे।
आइए जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे में सबकुछ…
हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा का आरंभ होता है और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन भगवान जगन्नाथ जी की वापसी के साथ इसका समापन होता है।
53 साल बाद बना दुर्लभ संयोग
इस साल पुरी में निकलने वाली जगन्नाथ रथयात्रा पूरे दो दिन चलेगी। पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की तिथियां घट गई हैं। ऐसे में रथयात्रा के पहले की सभी परंपराएं 7 जुलाई तक चलेंगी। इसके बाद सुबह के बजाय शाम को रथयात्रा शुरू होगी। लेकिन रथयात्रा के बाद रथ नहीं हांका जाएगा, इसलिए रात को रथ रोक दिया जाएगा और 8 जुलाई को सुबह जल्दी रथ चलाना शुरू होगा। इसके बाद इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे। बता दें कि तिथियों का ऐसा संयोग 1971 में बना था।
अलग-अलग रथ में सवार होते हैं श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा जी
बता दें कि भव्य जगन्नाथ रथयात्रा में 3 रथ निकाले जाते हैं, जो कृमश: श्री कृष्ण, बलराम और उनकी बहन सुभद्रा का होता है। हर एक रथ अपने आप पर खास होता है।
भगवान जगन्नाथ का रथ
पहला रथ जगन्नाथ जी का होता है, जिसे नंदीघोष कहा जाता है। इसके साथ ही इसमें लहरा रही ध्वजा को त्रैलोक्य मोहिनी कहा जाता है। इसके साथ ही इस रथ में कुल 16 पहिए होते हैं। इस रथ में पीला रंग का इस्तेमाल किया जाता है।
भगवान बलराम विराजेंगे दूसरे रथ पर
भगवान बलराम के रथ को तालध्वज कहा जाता है। इसके साथ ही रथ में लगे ध्वज को उनानी कहा जाता है। इस रथ में कुल 14 पहिए होते हैं। इसके साथ ही इस रथ को जिस रस्सी से खींचते हैं उसे वासुकी कहा जाता है।
मां सुभद्रा का तीसरा रथ
भगवान जगन्नाथ की छोटी बहन सुभद्रा का भी रथ निकाला जाता है। इस रथ को पद्म ध्वज कहा जाता है। इस रथ में कुल 12 पहिए होते हैं। इस रथ में लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही खींचने वाली रस्सी को स्वर्णाचूड़ा कहा जाता है।