तिथि और महत्व
10 अक्टूबर 2024, गुरुवार को सप्तमी तिथि को नवपत्रिका पूजा का आयोजन किया जाएगा। इस पूजा का समय दोपहर 1:35 से 3:02 बजे तक का है। यह पूजा, नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की आराधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे विशेष रूप से सप्तमी तिथि पर मनाने की परंपरा है।
बोधन की परंपरा
इस पूजा की शुरुआत बोधन के माध्यम से होती है, जिसमें देवी को जागृत करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस परंपरा में, बिल्व वृक्ष के नीचे एक कलश में जल भरकर रखा जाता है, और उसके बाद माता दुर्गा से प्रार्थना की जाती है कि वह निद्रा से जागें। यह बोधन केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि देवी के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।
नवपत्रिका पूजा का उद्देश्य
नवपत्रिका पूजा का मुख्य उद्देश्य माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना और नज़रदोष से मुक्ति पाना है। यह पूजा नवरात्रि के दौरान विशेष महत्व रखती है, और इसे कोलाबोऊ पूजा भी कहा जाता है। इसमें नौ अलग-अलग पेड़ों की पत्तियों को एक साथ बांधकर माता दुर्गा को चढ़ाया जाता है।
नवपत्रिका में शामिल पौधे
नवपत्रिका पूजा में शामिल पौधों की विशेष सूची है, जिसमें शामिल हैं:
- केला
- अरबी
- हल्दी
- जयंती
- बेल
- अनार
- अशोक
- अरुम
- धान
इन पौधों का महत्व केवल उनके आध्यात्मिक आशीर्वाद में नहीं है, बल्कि ये हमारे पर्यावरण और कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
पूजा की विधि
नवपत्रिका पूजा के दिन, पुजारी देवी दुर्गा का आह्वान करने के लिए वैदिक मंत्रों का पाठ करते हैं। इसके बाद, नवपत्रिका को गंगा में धोकर, लाल और सफेद साड़ी में लपेटा जाता है। इसे पुजारी अपने कंधे पर उठाकर या पालकी में रखकर ले जाते हैं।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवपत्रिका पूजा करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है। यह पूजा न केवल भक्ति का एक साधन है, बल्कि यह कृषि संबंधी समृद्धि की ओर भी इंगित करती है।
निष्कर्ष
इस तरह, 10 अक्टूबर 2024 को नवपत्रिका पूजा, माता दुर्गा के प्रति हमारी श्रद्धा और आस्था का एक महत्वपूर्ण उत्सव है। इस अवसर पर हम सभी को माता का आशीर्वाद प्राप्त करने और नज़रदोष से मुक्ति पाने का प्रयास करना चाहिए। इस पूजा को ध्यानपूर्वक करने से हम अपनी जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि ला सकते हैं।