ज्योतिष और ग्रहों के अनुसार, व्यक्ति के जीवन पर उनके जन्मकुंडली में ग्रहों का विशेष प्रभाव होता है। इसमें शनि ग्रह का स्थान विशेष महत्वपूर्ण होता है। शनि को शान्ति, सजगता और धैर्य का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कई बार उसकी गोडसे के कारण व्यक्ति को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी बीच, कुछ राशियों के लिए शनि का प्रभाव विशेष रूप से मिलता है और कुछ राशियाँ इससे बच जाती हैं। यहां हम उन तीन राशियों के बारे में बात करेंगे जिन्हें कहा जाता है कि शनि की कृपा हमेशा रहती है।
- मकर राशि (Capricorn):
मकर राशि वाले व्यक्ति शनि के स्वामित्व वाले होते हैं। इस राशि के जातकों को शनि की धैर्यवानी और संयमित प्रकृति प्राप्त होती है। शनि के इस संयमित प्रभाव के कारण उन्हें जीवन में बड़ी सफलताएं प्राप्त होती हैं। साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव भी उन पर कम होता है, जिससे वे इन प्रकार की समस्याओं से आसानी से निपट सकते हैं।
- तुला राशि (Libra):
तुला राशि वाले भी शनि की कृपा में रहते हैं। शनि तुला राशि में उच्च का होता है और इसके कारण उन्हें इस ग्रह की संयमित शक्ति का विशेष फल मिलता है। इससे वे अपने जीवन में धैर्य और स्थिरता बनाए रख सकते हैं। साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव भी कम होता है, जो उन्हें इन ग्रहों की नकारात्मक प्रभाव से हल करने में मदद करता है।
- मीन राशि (Pisces):
मीन राशि के जातक भी शनि की कृपा में रहते हैं। इन व्यक्तियों को शनि का प्रभाव विशेष रूप से मीन राशि में उच्च के कारण प्राप्त होता है। यह उन्हें अपने जीवन में संयम और आत्म-नियंत्रण की क्षमता प्रदान करता है, जिससे वे सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं। साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव भी इस राशि के जातकों पर अधिक नहीं होता, जिससे वे इन ग्रहों के दुष्प्रभावों से बच सकते हैं।