दिनांक: 14 अक्टूबर 2024, सोमवार
तिथि: एकादशी एवं द्वादशी
योग: गण्ड
राहुकाल: सुबह 07:48 – सुबह 09:14
पद्मनाभ द्वादशी आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है, और इस वर्ष यह पावन तिथि 14 अक्टूबर को पड़ रही है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से भक्तों को विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है, अर्थात् जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
पद्मनाभ द्वादशी का महत्व
इस व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, उन्हें न केवल सांसारिक सुख-संपत्ति प्राप्त होती है बल्कि अंततः मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। पद्मनाभ द्वादशी के दिन व्रत और पूजा का पालन करना, विष्णु जी की कृपा से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से भी मुक्ति दिलाता है।
पूजा विधि
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- पूजा सामग्री: विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर के समक्ष दीपक, धूप, फूल, चंदन, तुलसी पत्र, और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्र जाप: इस दिन विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- व्रत का पालन: दिनभर उपवास रखें और केवल फलाहार ग्रहण करें। कुछ भक्त केवल जल का सेवन करते हैं।
- कथा सुनना: इस दिन भगवान विष्णु से जुड़ी कथा सुनना और उनका गुणगान करना शुभ माना जाता है।
- आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में विष्णु जी की आरती करें और प्रसाद को परिवारजनों और जरूरतमंदों में बांटें।
राहुकाल में पूजा से बचें
पद्मनाभ द्वादशी के दिन पूजा करते समय राहुकाल (सुबह 07:48 से 09:14) का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि इस काल में शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
उपसंहार
पद्मनाभ द्वादशी का व्रत जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना गया है। जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत का पालन करते हैं, वे विष्णु जी की कृपा से सुखी और संतुलित जीवन व्यतीत करते हैं। इस दिन की पूजा न केवल सांसारिक इच्छाओं को पूर्ण करती है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की आराधना कर हम सभी उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को समृद्ध और मंगलमय बना सकते हैं।