गोपाष्टमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गौमाता की पूजा का विशेष महत्व है। गोपाष्टमी को विशेष रूप से गौ माता और उनके संरक्षण का सम्मान करते हुए मनाया जाता है। इस दिन गौ सेवा, गोदान, और गौ पूजन करके व्यक्ति पुण्य लाभ प्राप्त करता है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति होती है।
गोपाष्टमी का महत्व
गोपाष्टमी पर्व का संबंध भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से है। मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गौ चारण शुरू किया था, जो कि एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदार कार्य था। भगवान श्रीकृष्ण को ‘गोपाल’ यानी गायों का पालन करने वाला कहा जाता है, और इसी कारण से गोपाष्टमी के दिन उनकी विशेष पूजा होती है। इस दिन गौमाता का पूजन करके उनकी सेवा और सम्मान करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
गोपाष्टमी तिथि
गोपाष्टमी की अष्टमी तिथि 8 नवंबर को रात 11:56 बजे से शुरू हो चुकी है और इसका समापन 9 नवंबर यानी आज रात 10:45 बजे होगा। गोपाष्टमी का पूजन अभिजीत मुहूर्त में किया जाता है, जो विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस वर्ष, अभिजीत मुहूर्त 9 नवंबर को सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
गोपाष्टमी पूजन विधि
गोपाष्टमी के दिन पूजन के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद गौमाता और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति का शुद्ध जल और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद गोमाता को हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प, अक्षत आदि अर्पित करें। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में भी माखन और मिश्री का विशेष भोग लगाएं। पूजा करते समय ‘गोपाल सहस्त्रनाम’ का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। गौमाता की परिक्रमा करने और उन्हें हरा चारा खिलाने से पुण्य प्राप्त होता है।
गोपाष्टमी पर गौ सेवा का महत्व
गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करने से कई शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिन गौ माता को भोजन कराना, उनके साथ समय बिताना, और उनकी सेवा करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। गौमाता के प्रति श्रद्धा रखने और उनकी सेवा करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। गो सेवा से न केवल भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि यह प्रकृति और जीवों के प्रति प्रेम और करुणा को भी प्रकट करता है।
संक्षेप में
गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गौमाता की पूजा-अर्चना के लिए विशेष रूप से महत्व रखता है। इस दिन के पूजन और गौ सेवा से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति, समृद्धि, और जीवन में शुभता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।