हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में गणेश चतुर्थी आती है, और प्रत्येक की अपनी विशेषता होती है। इस श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी और शिव जी की पूजा करने से अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस साल संकष्टी चतुर्थी के दिन विशेष नक्षत्र भी बन रहे हैं। आइए, जानें संकष्टी चतुर्थी की तिथि, मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
गजानन संकष्टी चतुर्थी तिथि:
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 7:30 बजे शुरू होगी और 25 जुलाई को सुबह 4:19 बजे समाप्त होगी। पूजा की पूर्णता के लिए शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देना आवश्यक होता है। इसलिए, गजानन संकष्टी चतुर्थी 24 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी।
गजानन संकष्टी चतुर्थी 2024 चंद्रमा उदय समय:
गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा उदित होने का समय रात 9:38 बजे है।
गजानन संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा और पंचक:
भद्रा 24 जुलाई को सुबह 5:38 बजे से 7:30 बजे तक रहेगी, और इसका प्रभाव पृथ्वी पर होगा। इस समय अवधि के दौरान किसी भी शुभ कार्य को न करें।
गजानन संकष्टी चतुर्थी 2024 पर शुभ योग:
इस साल सावन संकष्टी चतुर्थी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सौभाग्य योग और शोभन योग दोनों का संयोग हो रहा है।
गजानन संकष्टी चतुर्थी 2024 पूजा विधि:
सूर्योदय के समय उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। फिर गणेश जी के समक्ष जाकर हाथ में एक फूल और कुछ चावल लेकर व्रत का संकल्प लें। एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर और फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी का अभिषेक शुद्ध पानी और पंचामृत से करें। भगवान को नए वस्त्र, श्रृंगार, चंदन, सिंदूर, फूल, माला और अक्षत अर्पित करें। मोदक, लड्डू और मौसमी फल चढ़ाएं। फिर घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। संकष्टी व्रत कथा का पाठ, गणेश चालीसा, गणेश मंत्र का जाप करें और गणेश आरती करें। इसके बाद भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें। शाम को पुनः पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।