उत्तर या उत्तर-पश्चिम की तरह मुंह कर बहन से तिलक लगवाएं, लक्ष्मी जी की कृपा मिलेगी, मृत्यु का भय भी नहीं रहेगा

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाने वाला त्योहार भाई दूज का पर्व रक्षाबंधन की तरह बेहद खास होता है। इस बार 15 नवम्बर को भाई दूज का पर्व है। एस्टोलॉजर प्रदुमन ने बताया कि बहन के तिलक करते समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए। इस दिन भाई और बहन दोनों ही काले और नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिएं। भाई दूज का टीका भाई के लंबे और सुखी जीवन के लिए बहन की सच्ची प्रार्थनाओं और उन्हें उपहार देने का प्रतीक है। श्रद्धापूर्वक बहनों के टीका लगाने से भाई को मृत्यु के देवता यम का भय नहीं रहता है। साथ ही, भाई की धन संपदा में वृद्धि होने के साथ उसके घर में मां लक्ष्मी का वास रहेगा और अन्य कोई शुभ कार्य होते रहेंगे।

इसलिए मनाया जाता पर्व

भाई दूज के बारे में दो कहानियां प्रचलित हैं सतयुग में यम जब जब अपनी बहन यमुना के घर गए तो उनकी बहन ने तिलक लगाने के साथ भाई को भोजन करवाया था। यमुना ने भाई यम का इतने अच्छे से स्वागत किया कि भाई यम ने उसे खुश होकर वरदान मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने अपने भाई यमराज से वचन लिया था कि मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर-सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय नहीं रहे। तब से यह पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, दुष्ट राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। जिन्होंने मिठाइयों और फूलों से उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने स्नेहपूर्वक कृष्ण के माथे पर तिलक भी लगाया। कुछ लोग इसे ही त्योहार की उत्पत्ति मानते हैं।

भाई दूज पर्व का महत्व

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाने वाला त्योहार भाई दूज का पर्व रक्षाबंधन की तरह बेहद खास होता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रोली बांधने के साथ उसके माथे पर तिलक लगाती हैं।
इसलिए भाई को अपनी बहन से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। भाई को टीका लगाने के बाद बहन उसे सूखा नारियल (क्षेत्रीय भाषा में गोला) भी देती है।

तिलक करने की विधि

भाई दूज के शुभ दिन सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उसके बाद बहनें तिलक करने से पहले थाली में रोली, अक्षत और सूखा नारियल और मिठाई रख लें। शुभ मुहूर्त के अनुसार, भाई का तिलक करें। यदि इस दिन बहनें अपने भाई को मनपसंद का भोजन करवाएंगीं तो अच्छा है। बाद में भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट दें।

भैया दूज का शुभ मुहूर्त

पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6ः44 मिनट से सुबह 9ः24 मिनट तक
दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10ः40 मिनट से दोपहर 12 बजे तक

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