27 अप्रैल को वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। जिन लोगों को आर्थिक अड़चन आ रही हैं, शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं वे विकट संकष्टी चतुर्थी पर गणपति बप्पा का आह्वान करें। विधिपूर्वक उपवास करने से घर में खुशियों का आगमन होगा। आर्थिक तंगी दूर होगी और सौभाग्य की पूर्ति होगी।
सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार संकट चौथ के दिन निर्जला उपवास के साथ फलाहार कर सकते हैं। फलाहार में केवल मीठा व्यंजन ही खाएंगे तो बेहतर होगा। यदि फलों का जूस का सेवन करना है तो उसमें नमक बिल्कुल नहीं मिलाएं। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में मंगल का आगमन होता है। आपके जीवन में यदि पहले से कामयाबी को लेकर कोई प्रतिकूलता हो सकती है तो गणपति अपने भक्त की उनसे रक्षा करते हैं क्योंकि भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को भक्तों की समस्या दूर करने और सर्वशक्तिमान होने का आशीर्वाद दिया था
चंद्र पूजन से संतान सुख मिलता
वैशाख माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी पर चंद्र पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से संतान सुख मिलता है। माना जाता है कि चतुर्थी की पूजा करने से बच्चों की उम्र लंबी होती है और उन्हें यश की प्राप्ति होती है।इस बार चंद्र दर्शन का समय देर रात 10ः23 बजे का है। चंद्रमा दर्शन करने के बाद उन्हें अर्घ्य दें और बप्पा से सुख-शांति की कामना करने से हर विपदा दूर हो जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 अप्रैल प्रातः 08ः17 मिनट पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी। इसका समापन अगले दिन 28 अप्रैल प्रातः 08 बजकर 21 मिनट पर होगा।
दमयंती ने पूजा कर पति को राज्य दिलाया
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में नल नाम का राजा था। उनकी पत्नी का नाम दमयंती था। एक बार जुए में राजा नल अपना सब कुछ हार गए और राज्य भी गंवाना पड़ा। वन में रहते हुए एक श्राप के कारण राजा नल को अपनी पत्नी से भी वियोग सहना पड़ा। वन में रहते हुए रानी दमयंती की शरभंग महर्षि की मुलाकात हुई। शरभंग ऋषि ने दमयंती से कहा कि भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत करने से उन पर आई विपदा दूर होगी। दमयंती ने ऋषि के कहने पर गणपति की पूजा और व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से दमयंती को अपना पति भी मिल गया और नल राज्य लौटे और सिंहासन प्राप्त किया।