होली के त्योहार से ही नए संवत की शुरुआत मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था। ज्यादा प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इस दिन नरसिंह का अवतार धारण करते हुए हिरण्यकश्यप का वध किया था। भगवान श्री कृष्ण देवी राधा रानी तथा सखियों के संग भी रंगों से खेला करते थे। इस बार होली पर चंद्र ग्रहण और होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा। होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च की रात्रि 11ः14 बजे से लेकर 12ः20 बजे यानि 66 मिनट का रहेगा। इससे पहले होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाएगा।इस दौरान किसी भी तरह का पूजा-पाठ व शुभ काम करना वर्जित रहेगा। 24 मार्च को सुबह से भद्रा काल लग जाएगा। इस दिन भद्रा काल का प्रारंभ सुबह 9ः55 बजे से हो रही है, जो रात 11 बजकर 13 मिनट तक चलेगा।
24 मार्च को 9ः55 पर लगेगी पूर्णिमा तिथि
सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 9ः55 बजे से आरंभ होगी जो अगले दिन 25 मार्च दोपहर 12ः31 तक रहेगी। ऐसे में रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी।