पीले रंगों का प्रतीक बसंत उत्सव इस बार 13 फरवरी को दोपहर 2ः41 बजे से शुरू होकर अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12ः09 बजे तक चलेगा। उदया तिथि के हिसाब से इस लिए बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सरस्वती की वंदना करने से वाणी संयमित रहती है। इसके साथ ही बुद्धि का भी विकास होता है। इस दिन को श्रीपंचमी और ज्ञान पंचमी के तौर पर भी जाना जाता है।
इसलिए मनाई जाती है बसंत पंचमी
पौराणिक हिंदू मान्यता के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान ब्रह्मा जी ने एक ऐसी देवी की संरचना की, जिनके चार हाथ थे। एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था।
सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती को वीणा बजाने के लिए कहा था जिसके बाद संसार में स्वर आ गया। इसलिए मां सरस्वती का नाम वाणी भी पड़ा। मां सरस्वती की वंदना करने से बुद्धि का विकास होता है। इसलिए बसंत उत्सव पर मंदिरों, घरों, विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में मां सरस्वती का श्रद्धापूर्वक पूजन किया जाता है।
यह दिन ज्ञान के जश्न मनाने का दिन है क्योंकि पुरातन समय में इस दिन बच्चों को शिक्षा की शुरुआत की जाती थी। मां सरस्वती का प्रिय रंग भी पीला कहा जाता है। पीला रंग सकारात्मकता, नई किरणों और नई ऊर्जा प्रदान करने का प्रतीक माना जाता है।
मां सरस्वती को यह चीजें अर्पित करें
– मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
– रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।