आज मनाई जा रही है विश्वकर्मा जयंती: जानें तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

विश्वकर्मा जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सृष्टि के महान शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए समर्पित है। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के वास्तुकार और निर्माण कला के देवता के रूप में पूजा जाता है। वह सभी प्रकार के यंत्रों, औजारों और मशीनों के संरक्षक माने जाते हैं। हर साल यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

विश्वकर्मा जयंती 2023 की तिथि

इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती 16 सितंबर 2023 को मनाई गई। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है, और इसे पूरे भारत में विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों, कार्यशालाओं, कारखानों, और व्यापारिक संस्थानों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त

विश्वकर्मा जयंती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक था। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस समय अवधि में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस मुहूर्त में पूजा करने से कार्यक्षेत्र में समृद्धि, यंत्रों की सुरक्षा, और व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है।

पूजा विधि

विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष नियमों और विधियों के साथ की जाती है। यहाँ पूजा की सरल विधि बताई जा रही है:

  1. स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को भी साफ करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। साथ ही, पूजा स्थल पर अपने यंत्र, औजार, कंप्यूटर, और अन्य मशीनें रखें जिन्हें आप पूजा के माध्यम से शुद्ध करना चाहते हैं।
  3. संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लें और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें।
  4. पूजा सामग्री: भगवान की पूजा के लिए पंचोपचार का उपयोग करें जिसमें गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य शामिल हैं। साथ ही, उन्हें फल, मिठाई और नारियल का भोग अर्पित करें।
  5. विशेष मंत्र: पूजा के दौरान “ॐ आधार शक्तपे नमः, ॐ कूमयि नमः, ॐ अनन्तम नमः, ॐ पृथिव्यै नमः” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायी होता है।
  6. हवन: हवन का आयोजन करें और उसमें तिल, जौ, घी, और शक्कर की आहुतियां दें।
  7. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण करें और सभी यंत्रों पर प्रसाद लगाकर उनका पूजन करें।
  8. आरती: अंत में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और उनसे अपने कार्यों में सफलता और यंत्रों की सुरक्षा की प्रार्थना करें।

विश्वकर्मा जयंती का महत्व

विश्वकर्मा जयंती न केवल यंत्रों और मशीनों की पूजा का पर्व है, बल्कि यह कर्म और रचनात्मकता का भी प्रतीक है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यवसायिक स्थिरता, यंत्रों की लंबी आयु और कार्यक्षेत्र में उन्नति प्राप्त होती है। इसके साथ ही, यह पर्व हमें अपनी मेहनत, कार्यक्षमता, और सृजनशीलता का सम्मान करने की भी प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष

विश्वकर्मा जयंती का पर्व हमारे जीवन में यंत्रों और औजारों की अहमियत को समझाने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का एक सुनहरा अवसर है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके हम अपने कार्यों में सफलता, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

इस पर्व की सच्ची भावना को समझकर और सही विधि से पूजा करके हम भगवान विश्वकर्मा की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सभी को विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!

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