तीन तीज का रहस्य: हरियाली, हरतालिका और कजरी तीज की पूजा विधि और महत्व जानें!

हिंदू धर्म में तीज के त्योहार का खास महत्व है। यह त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है: सबसे पहले हरियाली तीज, फिर कजरी तीज, और अंत में हरितालिका तीज। इन तीनों व्रतों में भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन व्रतों को रखने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। हालांकि, इन तीज व्रतों में कई समानताएं हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं। आइए, इन्हें विस्तार से जानें…

हरियाली तीज (Hariyali Teej):

वैदिक पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो इस साल 7 अगस्त को थी। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा करती हैं। शिव पुराण के अनुसार, इसी दिन भोलेनाथ ने मां गौरी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, इसलिए हरियाली तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य का वरदान माना जाता है। इस दिन महिलाएं सज-धज कर झूला झूलती हैं, सावन के लोकगीत गाती हैं, और हाथों में मेहंदी लगाने की परंपरा निभाती हैं।

कजरी तीज (Kajari Teej):
वैदिक पंचांग के अनुसार, कजरी तीज का त्योहार हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल कजरी तीज 22 अगस्त को है। इसे कजली तीज, सातूड़ी तीज, और भादो तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। माता पार्वती, भगवान शिव, और नीमड़ी माता की पूजा का विशेष महत्व होता है।

शास्त्रों के अनुसार, मध्य भारत में कजली नामक एक वन था, जहां के राजा की अकाल मृत्यु के बाद उनकी रानी ने सती हो जाने का निर्णय लिया। राजा-रानी के प्रेम से प्रभावित होकर वहां के लोग कजली गीत गाने लगे, जो पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक बन गया। यहीं से कजरी तीज मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन, व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं सात रोटियों पर चना और गुड़ रखकर गाय को खिलाती हैं।

हरतालिका तीज (Hartalika Teej):
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 4 सितंबर को मनाया जाएगा। हरियाली तीज की तरह, हरतालिका व्रत भी निर्जला रखा जाता है। मान्यता है कि मां पार्वती ने भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी और बालू के शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा की थी। शिव जी ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए थे।

इस दिन महिलाएं मंडप सजाकर बालू से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाती हैं और उनका गठबंधन करती हैं। हरतालिका तीज का व्रत अविवाहित कन्याएं अच्छे पति की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य में वृद्धि के लिए करती हैं।

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