हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास में आने वाली पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। इस व्रत के फल के बारे में पद्म पुराण, नारद पुराण, और भविष्योत्तर पुराण में विस्तार से वर्णन है। किंवदंतियों के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से साधक को पुत्र की प्राप्ति होती है। साल में दो बार यह व्रत रखा जाता है—पहली बार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को और दूसरी बार पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को, जो दिसंबर या जनवरी में आता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत करने से हर तरह के दुख, दर्द, और पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानें सावन पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पारण का समय, पूजा विधि, विष्णु मंत्र और आरती के बारे में…
सावन पुत्रदा एकादशी 2024 का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त 2024 को सुबह 10:26 बजे शुरू होगी और 16 अगस्त 2024 को सुबह 09:39 बजे समाप्त होगी। इस साल पुत्रदा एकादशी के दिन सिंह संक्रांति के साथ लक्ष्मी नारायण और प्रीति योग भी बन रहे हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी पारण का समय
पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 17 अगस्त 2024 को सुबह 5:49 बजे से 8:05 बजे के बीच किया जा सकता है।
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत 2024 पूजा विधि
सावन पुत्रदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर विष्णु जी के सामने एक पीला फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें और इसे श्री हरि को अर्पित करें।
अब पूजा की शुरुआत करें:
- एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और श्री विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- मूर्ति को गंगाजल, पंचामृत से स्नान कराएं।
- पीला चंदन, फूल, माला अर्पित करें और भोग के साथ तुलसी दल चढ़ाएं।
- पुत्रदा एकादशी व्रत कथा सुनें, श्री विष्णु मंत्र और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- अंत में विष्णु जी की आरती करें।
पूजा के दौरान फलाहारी व्रत का पालन करें और पारण के शुभ मुहूर्त में पूजा के बाद अपना व्रत खोलें।
श्री विष्णु मंत्र (Vishnu Mantra)
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||
क्लेश नाशक श्री विष्णु मंत्र:
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः
विष्णु गायत्री मंत्र:
नारायणाय विद्महे
वासुदेवाय धीमहि
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्
विष्णु भगवान की आरती – ॐ जय जगदीश हरे… (Shri Vishnu Aarti)
भगवान जगदीश्वर की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे।
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥