खरमास के खत्म होने पर ही शुभ संस्कार किए जा सकेंगे
14 मार्च को सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास की शुरुआत होगी जो 13 अप्रैल तक चलेगा। खरमास के दौरान भूलकर भी नई सम्पत्ति, नया वाहन, गृह प्रवेष, विवाह समेत कोई भी मंगल कार्य करने की मनाही होती है।
संस्कृत भाषा में खर गधे को कहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य अपने वाहन घोड़ों पर दया करके उन्हें कुछ समय विश्राम देते हैं और उन्हें पानी पिलाने के लिए तालाब लेकर जाते हैं।
किंतु सूर्य भगवान एक बार थम जाएं तो सृष्टि कैसे चलेगी। इसलिए वह तालाब किनारे खडे खरों यानि गधों को अपने रथ के आगे लगा दिया। चूंकि घोड़ों के मुकाबले गधों की गति काफी धीमी होती है इसलिए यदि व्यापार समेत कोई मंगल कार्य किया तो वह फलीभूत नहीं होता इसलिए खरमास में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
इन शुभ कार्यों में बच्चे का मुंडन और नामकरण, गृह प्रवेश, विवाह समारोह, नए प्रतिष्ठान का उद्घाटन को खरमास के पूर्ण होने तक टालना ही बेहतर होता है।
खरमास में क्या करें
– खरमास में दान का बहुत महत्व होता है। इसलिए 13 अप्रैल तक जितना हो सके जरूरतमंदों को पैसे या वस्तुओं का दान करें।
– धार्मिक क्रियाकलापों की दृष्टिकोण से खरमास का बेहद महत्व होता है। इसलिए इन दिनों में धार्मिक यात्राएं करना सही रहता है।
– तुलसी के पौधे के सामने रोजाना घी का दीपक जलाएं।
– सत्कर्म कर भगवान का स्मरण करें। नित्य तुलसी पूजा और दान के साथ खरमास बीत जाने के बाद किया गया शुभ कार्य ज्यादा फलदायक होगा।